पिता के साथ रह रहे बच्चे
दूर हो जाते हैं
जब कभी
अल्पकाल के लिए ही
अक्सर ढूंढता है वह
उनकी मुस्कान
और निश्छलता
उनके खिलौनों में ।
ड्रमर पर बना डोरेमोन
दिलाता है याद
उनकी खिलखिलाहट
तमाम खिलौने जैसे
रिमोट वाली कार
बैटरी से चलने वाले
ऊंट, गिटार या फिर
डांसिंग गुड़ियों की जोड़ी
उन्हें छूने भर से ही
महसूसता है वह
बच्चों के उसी
कोमल स्पर्श को ।
तकनीक के इस दौर में
वीडियो कॉल पर
दूर गांव से
जब जिद करते हैं बच्चे
देखने को अपने वही खिलौने
तब पिता मन ही मन
भावुक हो उठता है
उनकी इस फरमाइश को
मानता है वह
आदेश की तरह ।
कृतज्ञता का भाव लिए
स्मरण हो आता है उसे
उस कारीगर का
जिसने निर्मित किया होगा
इस पृथ्वी का
सबसे पहला खिलौना ।
खिलौने
बचाए रखते हैं संवेदना
और बांधे रखते हैं
पिता और बच्चों को
विछोह में भी
नदी के दो छोरों
पर बने
पुल की तरह !
मनोज चौहान
रामपुर बुशहर, शिमला
हिमाचल प्रदेश